चतुर लोमड़ी और बुद्धिमान मुर्गा
चतुर लोमड़ी और बुद्धिमान मुर्गा |
एक समय की बात है। एक जंगल में चालाक लोमड़ी रहती थी। उसे अपने चतुराई पर बड़ा घमंड था। वह समझती थी " मैं ही सबसे ज्यादा बुद्धिमान हूं।"
एक बार वह भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी। भूख की वजह से उसे चलने में भी बहुत मुश्किल हो रही थी। तभी उसकी नजर एक छत पर खड़े मुर्गी पर पड़ी।
उसके दिमाग में उस मुर्गे को पकड़ने की योजनाएं चलने लगी। मुर्गे को देखकर उसने बड़े प्यार से पूछा,"मुर्गे भाई बहुत दिनों बाद तुम्हें देखा।पर तुम बहुत कमजोर लग रहे हो और तुम नीचे आओ तो मैं तुम्हारी जांच कर लूं।"
दरअसल वह मुर्गे को नीचे बुलाकर उसको खाना चाहती थी। मुर्गा उसकी चाल समझ गया। उसने कहा,"मेरी प्यारी लोमड़ी बहन, तुमने बिलकुल ठीक कहा है।मैं इतना कमजोर हो चुका हूं कि नीचे भी नहीं आ पा रहा हूं।"
लोमड़ी समझ गई की मुर्गा उसकी चाल समझ गया और वहां से चली गई।मुर्गा उसकी लाचारी देखकर हंसने लगा।
शिक्षा: मुसीबत में भी बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।
चतुर लोमड़ी और बुद्धिमान मुर्गा
Reviewed by Kahani Sangrah
on
October 02, 2024
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