ईमानदार लकड़हारा और पेड़ |The Honest Woodcutter and Tree
इस कहानी में हम पढ़ेंगे कि दूसरों का भला करने से भलाई ही मिलती है।
ईमानदार लकड़हारा और पेड़|The Honest Woodcutter and Tree |
ईमानदार लकड़हारा और पेड़ |The Honest Woodcutter and Tree
बहुत समय पहले एक ईमानदार लकड़हारा था जो जंगल में पेड़ काटकर अपनी जीविका चलाता था। वह हर दिन जंगल में जाता, लकड़ियाँ काटता और उन्हें बेचकर अपना गुजारा करता।
एक दिन, लकड़हारा एक पुराने विशाल पेड़ के पास पहुँचा। वह पेड़ बहुत घना और मजबूत था, और लकड़हारे ने सोचा कि अगर वह इस पेड़ को काटेगा, तो ज्यादा लकड़ियां बेचकर अच्छी कीमत मिलेगी।
जैसे ही लकड़हारा ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और पेड़ को काटने की कोशिश की, पेड़ में से एक आवाज आई। वह आवाज पेड़ की आत्मा की थी। पेड़ ने कहा, "हे लकड़हारे, कृपया मुझे मत काटो। मैं यहाँ कई वर्षों से खड़ा हूँ और न जाने कितने जीव-जंतु मेरी छाया में रहते हैं। अगर तुम मुझे काटोगे, तो कई जीवों का घर भी नष्ट हो जाएगा।"
लकड़हारा थोड़ा अचरज में पड़ गया और सोचने लगा। पेड़ की आत्मा ने आगे कहा, "यदि तुम मुझे नहीं काटोगे, तो मैं तुम्हें एक उपहार दूँगा।"
लकड़हारा ने सोचा और कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें नहीं काटूँगा। लेकिन तुम मुझे क्या उपहार दोगे?"
पेड़ की आत्मा ने जवाब दिया, "मैं तुम्हें एक जादुई उपहार दूँगा। जो भी तुम मुझसे माँगोगे, वह तुम्हें मिलेगा।"
लकड़हारे ने सोचा कि यह एक अद्भुत अवसर है। उसने पेड़ से वादा किया कि वह उसे कभी नहीं काटेगा। फिर उसने पेड़ से एक सुंदर घर माँगा। कुछ ही पलों में, लकड़हारे को एक शानदार घर मिल गया। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ वहाँ खुशी से रहने लगा।
लकड़हारा अब समझ गया था कि जब हम दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं और उनकी भलाई का ख्याल रखते हैं, तो हमें बदले में अच्छाई ही मिलती है।
शिक्षा: भलाई करने से बदले में भलाई ही मिलती है।
ईमानदार लकड़हारा और पेड़|The Honest Woodcutter and Tree
Reviewed by Kahani Sangrah
on
October 05, 2024
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